The Definitive Guide to वशीकरण मंत्र किसे चाहिए
इस साधना के जरिये हम शक्तिशाली मोहिनी वशीकरण का प्रभाव पैदा कर सकते है.
ॐ नमो आदेश गुरु का एक फूल फूल भर दोना चौंसठ योगिनी ने मिल किया टोना फूल फूल वह फल न जानी हनुमन्त वीर घेर घेर दे आनी जो सूंघे इस फूल की बास उसका जी प्राण हमारे पास सोती होय तो जगाय लाव बैठी होय तो उठाय लाव और देखे जरे बरै, मोहि देखि मोरे पायन परे मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा वाचा वाची से टरे तो कुम्भी नरक में परे।
जीवनसाथी या प्रेमी के साथ संबंध मजबूत करना।
त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते
हां, यदि सही विधि और इरादे के साथ किया जाए तो यह प्रभावी हो सकता है।
साधक तीन पान का बीड़ा लेकर तीनों को इक्कीस इक्कीस बार अभिमन्त्रित करे और एक-एक करके जिस भी स्त्री को खिलायेगा, पहला पान खाकर वह स्त्री मित्रता करेगी। दूसरा पान शारीरिक सम्बन्ध बनायेगी और तीसरा पान खा लेने के बाद साधक के अलावा कभी किसी के बारे में सपने में भी नहीं सोचेगी। यह अति प्रबल वशीकरण प्रयोग है।
तेल मोहन मंत्र साधना करने के दौरान जब तक आपका कार्य पूरा न हो पवित्र बन रहे.
तिलक काठी में निकलू घर से मोहे सकल get more info संसार
(अमुक अमुका मतलब स्त्री या पुरुष का नाम)
वशीकरण मंत्र एक ऐसा उपाय है जिसका उपयोग करके एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपने अधीन करने की कोशिश करता है। यह मंत्र स्पष्ट और उच्चारित शब्दों का एक संग्रह होता है जिसे व्यक्ति नियमितढंग से उच्चारण करते हैं। इसके माध्यम से, व्यक्ति अपनी इच्छाओं को प्राप्त करने के लिए दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करने की कोशिश करता है। यह मंत्र भावनात्मक शक्ति को जगाने का कार्य करता है और आपके लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है।
ॐ ताल तुम्बरी दह दह दरै झाल झाल आं आं आं हूं हूं हूं हैं हैं हैं काल कमानी कोटा कमरिया ॐ ठः ठः।
वशीकरण का नैतिक उपयोग इस पर निर्भर करता है कि इसे किस उद्देश्य से किया जा रहा है। जब इसका उपयोग रिश्तों को सुधारने, सकारात्मक बदलाव लाने, और जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, तो यह फायदेमंद साबित होता है। लेकिन गलत इरादों से इसका उपयोग हानिकारक हो सकता है और इसे पारंपरिक शास्त्रों में निषेध किया गया है।
इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि वशीकरण क्या है, यह कैसे काम करता है, और यह हमारे जीवन में कैसे उपयोगी हो सकता है।
हाथ पसारूं मुख मलूं, काची मछली खाऊं। आठ पहर चौसठ घड़ी, जग मोह घर जाऊं।।